My Poem


रातों की नींद हराम हुई,
दिन का चैन खो गया,
न जाने 'आलम',
तुझे क्या हो गया |


मेरे घर से, उसके घर की दूरी,
सिर्फ कुछ कदम है,
एक ज़माना गुज़र गया,
चलते चलते |


उसने कुछ कहा भी नहीं,
और मैंने कुछ सुना भी नहीं,
एक अफसाना बयां हो गया देखते देखते।।




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